शब्द रचना किसे कहते हैं?
- वर्णो के सार्थक संघात को शब्द कहते है। शब्द रचना की दृष्टि से केवल यौगिक शब्दों का अध्ययन किया जाता है। यौगिक शब्दोँ मेँ ही उपसर्ग और प्रत्यय का प्रयोग करके नये शब्दोँ की रचना होती है।
- रा +त = रात , यह शब्द है क्योंकि इसका अर्थ है।
- त + रा = तारा, यह नहीं है क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं है।
जैसे : राधे ,श्याम ,गीता , सीता , आकाश , देवता।
शब्द के रूप :
- सार्थक
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्दो के भेद - 5 भेद
- रचना के अनुसार
- उत्पत्ति / जन्म के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
- काव्य शास्त्री अर्थ के आधार पर
- विकार या प्रयोग के आधार पर
शब्द रचना कितने प्रकार के होते हैं?
रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं:
1) रचना के अनुसार : इसके आधार पर कुल 3 होते है
- रूढ़ शब्द
- योगरूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
1. रूढ़ शब्द: जिन शब्दो का विभाजन नहीं हो सकता है उन्हें हम रूढ़ शब्द कहते है।
जैसे: घर , आँगन , पुस्तक ,कार, कलम, बस
2. योगरूढ़ शब्द: जब -2 रूढ़ शब्द मिलकर तीसरा अर्थ देते है तो हम ऐसी शब्दो को रूढ़ शब्द कहते है
जैसे: गजानन , दशासन , लम्बोदर , चतुर्भुज , पंकज
{पर्यायवाची , बहुब्रीहि }
3. यौगिक शब्द: जब -2 रूढ़ शब्द मिलकर कोई तीसरा अर्थ नहीं देते है तो हम ऐसे सब्दो को यौगिक रूढ़ शब्द कहते है।
जैसे : - विद्यालय , घुड़सवार , रेलगाड़ी
2. उत्पत्ति के आधार पर :
इस आधार पर इन्हे 4-5 भागो में विभाजित किया गया है-
क ) तत्सम शब्द
ख ) तद्भव शब्द
ग ) देशज शब्द
घ ) विदेशज शब्द
च) संकर शब्द
क ) तत्सम शब्द :
- तत + सम (जहाँ तत=उसके , सम = समान/बराबर )
- हिंदी के जो शब्द संस्कृत के समान हो , उन्हें तत्सम शब्द कहते है।
उदहारण: धन , नारी , सीमा , राष्ट्र , बालक , रवि , गौरव
(ख ) तद्भव शब्द:
- (तद+भव) जहाँ - तद = इस प्रकार +भव =इस प्रकार से होना
१) कुक्कुर =कुत्ता
तत्सम - तद्भव
२) मयूर = मोर
तत्सम - तद्भव
३) आम्र = आम
तत्सम - तद्भव
४) गृह = घर
तत्सम - तद्भव
(ग ) देशज शब्द :
- (देश +ज ) जहाँ देश =गांव, ज = जमने वाला / पैदा होने वाला
- ऐसा शब्द जो गांव की सीमा में ही सिमटकर रह गये।
जैसे: मेहरारू , मनई, मनसेधू , लोटा , ढिबरी , इनारा ,मुरैला
(घ) विदेशज या विदेशी शब्द:
देश के बाहर की भाषाओ से आकर हिंदी में प्रयोग होने लगे जैसे कुछ उदाहरण- टाइम , बल्ब , टूयब लाइट , लैंप , साइकिल , कफन , कुर्ता, पायजामा , कुर्सी , मेज , काजू , किसमिस आदि
- अरबी: अखबार, आवाज, इम्तहान, कागज, किताब, कुरसी, तूफ़ान, मरीज, मुकदमा, आदि।
- फ़ारसी: अचार, आदमी, आसमान, खराब, कारोबार, खुशामद, खून, चीज़, परी, बीमार आदि।
- अंग्रेजी: स्कर्ट, फ्राॅक, बेल्ट, टाई, टेलीविजन, कंप्यूटर, रोबोट, पेंसिल, पेन, बस, ट्रक, टीचर आदि।
- पुर्तंगाली: आया, इस्पात, कप्तान, कमरा, गमला, गोदाम, तौलिया, साबुन, बालटी, संतरा आदि।
- तुर्की: कुरता चाकू, तोप, बंदूक, बीबी, बेगम, सौगात आदि।
च) संकर शब्द :- देशी +विदेशी
- रेलगाड़ी , किताबघर , गोताखोर , तहसीलदार , सिनेमाघर , लाठीचार्ज , रेल विभाग , फिल्म विभाग
3. अर्थ के आधार पर:
अर्थ के आधार पर इसे 4 भागों में बाँटा गया है
- पर्यायवाची शब्द
- विलोम शब्द
- समोच्यारिता
- अनेकार्थी शब्द
1. पर्यायवाची शब्द:
- पानी: नीर, जल, वारि
- कमल: नीरज, जलज, वारिज
- बादल: नीरद, जलद, वारिद
2. विलोम शब्द:
जो शब्द एक-दसरे का विपरीत अर्थ देते हैं, उन्हें विलोम शब्द कहते हैं। इन्हें विपरीतार्थक शब्द भी कहा जाता है।
- उन्नति -अवनति
- उपकार -अपकार
- सुलभ -दुर्लभ
- निंदा -प्रशंसा, स्तुति
- कृतज्ञ -कृतघ्न
- हर्ष -विषाद
3. समोच्यारिता
4. अनेकार्थी शब्द:
- एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते है ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते है। दूसरे शब्दों में अगर हम कहे जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें 'अनेकार्थी शब्द' कहते है।
- पूर्व: एक दिशा, पहले
- घट: घड़ा, शरीर
- काल: मृत्यु, समय
- कर: हाथ, किरण, टैक्स
- तीर: किनारा, बाण
- कुल: वंश, सब
- द्वीज: पंछी,अण्डज, दाँत, प्राणी, ब्राम्हण, चन्द्रमा
- नाग: सर्प, हाथ, पर्वत, बादल, वायु का भेद
- हरी: साँप, मेढ़क, तालाब, विष्णु, बन्दर, सिंह
- पानी: जल, इज़्ज़त,लज्जा, स्वाभिमान, वर्षा, वन, चमक
अम्बर: आकाश, आसमान, बादल, वस्त्र, कपास, इत्र
- गो: गाय, पृथ्वी, नदी, आकाश, तारे, माँ सरस्वती, जल
- अर्क: इन्द्र, तांबा, ताम्रा, विष्णु, सूर्य
- अंग: शरीर का हिस्सा, शाखा
- कनक: सोना, धतूरा
- पंचानन: शिव, प्रकांड विद्वान
हरी (साँप) मिलन गए हरी (मेढ़क) से, हरी (मेढ़क) थे हरी (तालाब) के पास! हरी (मेढ़क) कूद गए हरी (तालाब) में, हरी (साँप) हो गए उदास !!
इसका अर्थ:
साँप मिलन गए मेढ़क से, मेढ़क थे तालाब के पास!
मेढ़क कूद गए तालाब में, साँप हो गए उदास !!
- सारंग: हिरण, कोयल, औरत, हवा, दिया, पक्षी , हाथी, घोड़ा, सिंह, भौरा, मोर, चन्द्रमा, बाज, पानी, धनुष
सारंग नयनी सारंग बैनी,सारंग ले चली सारंग को !
जब सारंग सारंग भेंट भई, पुचकारत सारंग सारंग को !!
इसका अर्थ:
मृग नयनी कोयल बैनी, औरत ले चली हवा को !
जब हवा दिया भेंट भई, पुचकारत पक्षी चकई को !!
4. काव्यशास्त्री अर्थ के आधार पर:
इनको 3 भागों में बॉंटा गया है -
- शब्द का अभिद्या रूप
- लक्षणा रूप
- व्यंजना रूप
1. शब्द का अभिद्या रूप:
- जहाँ किसी शब्द का सीधा रूप प्रस्तुत किया जाए
- जैसे : राम कक्षा का अच्छा लड़का है।
2. शब्द का लक्षणा रूप:
- जहाँ किसी शब्द को कहने के लिए उनके लक्षण में कोई दूसरा शब्द ला दिया जाए।
- जैसे : राम कक्षा का शंकराचार्य है ।
3. शब्द का व्यंजना रूप:
- किसी शब्द को व्यंगात्मक रूप से प्रस्तुत करना ही शब्द को व्यंगात्मक रूप कहलाता है
- जैसे: राम गोबर गणेश है ।
- मोहन एकदम भोदू है।
5. प्रयोग या विकार के आधार पर शब्द:
इसके आधार पर ये 2 प्रकार से विभजित किये गये है
- विकारी /सविकारी
- अविकारी शब्द
1. विकारी /सविकारी:
- जो शब्द प्रयोग आधार पर अपना अर्थ बदल देते है। जहाँ विकृत करना का अर्थ है - बिगाड़ना या बदल देना
जैसे:
संज्ञा, सर्वनाम , विशेषण, क्रिया ये सभी विकारी है।
संज्ञा: नदी-नदियाँ-नदियों पहाड़-पहाड़ी-पहाड़ियाँ
सर्वनाम: मैं-मेरा-हम-हमारा जिसने, जिन्होंने
विशेषण: छोटा-छोटे-छोटी हरा-हरी-हरे
क्रिया: गया-गई-गए नहाता-नहाती-नहाते
उदाहारण: माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-चाची आदि
2. अविकारी शब्द:
- जो अपना अर्थ नहीं बदलते है (लिंग, वचन, कारक और काल) उन्हें हम अविकारी शब्द कहते है
जैसे- है ,हो ! अरे ! अबे , किन्तु, परन्तु, और या
सम्बोधनवाची: हे! ,ओ , अरे , अबे, भो
क्रिया- विशेषवाची = धीरे-धीरे, जोर से , तेजी से
समुच्चवाची = लेकिन, किन्तु, परन्तु, और
समबंधवाची = तक, भर, अथवा, या
निरर्थक वर्ण:
- ऐसे वर्ण जो बिना अर्थ के होते है उन्हें निर्थक वर्ण कहते है
- जैसे : काम- शाम , पानी -वानी, खाना -वाना इत्यादि।
मेरा ज्ञान बड़ाने के लिए धन्यवाद ,,,
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