मिश्र अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर -पश्चिम में नील नदी द्वारा सिंचित एक छोटा सा देश है।
यह उत्तर में भूमध्य सागर पश्चिम में लीबियन रेगिस्तान पूर्व में लालसागर और दक्षिण में नील के महाप्रतापो से घिरा हुआ है। इन प्राकृत बाधाओं से सुरक्षित रहने के कारण मिश्र पर ऐतिहासिक युग में असीरियनो के पूर्व हिक्सोस को छोड़कर कोई और विदेशी जाति अधिपत्य स्थापित नहीं कर पायी।
नील नदी की घाटी :
नील नदी जिसे प्राचीन मिश्र के निवासी हापी कहते थे भूमध्य रेखा के समीप यूगांडा के पर्वत से निकलती है और चार सहत्र मील 6,695 kilometers (4,160 माइल्स) लम्बे टेढ़े -मेढ़े मार्ग के तय को करके उत्तर भूमध्य सागर में गिरती है।
How long is the nile river?
Ans : 6,695 kilometers (4,160 माइल्स)
नील का वरदान :
जनसँख्या के घनत्व की दृष्टि से एक आधुनिक औद्योगिक देश के समान होते हुए भी मिस्त्र प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है।
यहाँ पर चावल , रुई , गन्ने , और गेहू की खेती होती थी , और अभी भी हो रही है उसका कारण है यहाँ की बेहद उपजाऊ भूमि इस चीज़ को ध्यान में देखकर वर्ष में दो फसले पैदा करना कठिन नहीं होता है लेकिन यहाँ वर्षा नाम मात्र की होती है इसलिए मिस्त्रियो को कृषि कार्य में आवश्यक जल के लिए पूर्णतयः नील पर निर्भर रहना होता है।
इतिहास के पिता " हेरोडोटस " ने मिस्त्र को नील का वरदान कहा , नील का मिस्त्री जीवन पर प्रभाव -ऐतिहासिक युग में नील राष्ट्रीय जलमार्ग बन गयी है। जिससे मिस्त्री सम्राटो के लिए राजनितिक एकता स्थापित करना सरल हो गया। दूसरे नील के कारण मिस्त्रियो के सामने ऐसी अनेक समस्याएँ आयी जिनको हल करने का प्रयास करने पर विज्ञानं -कौशल की प्रगति हुई बाढ के पानी को संगृहीत रखने के लिए तालाबों और झीलों का एक दूसरे विभिन्न प्रदेशो में भेजने के लिए नहरों का निर्माण तथा उसे नहरों से उच्चतर धरातल पर स्थित खेती तक पहुँचने के लिए सदुगो का प्रयोग का प्रयोग किया करते थे।
पिरामिड का युग : Age of Pyramids
तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व के प्रयोग में द्वितीय वंश के पतन के कारण जोसेर के नेतृत्व में तृतीय वंस की स्थापना (2980 BC ) से मिस्त्र के इतिहास में सांस्कृतिक प्रगति और भौतिक समृद्धि का एक महान युग प्राम्भ हूआ जो (2475 BC ) में छठे वंश के पतन तक चला इसे इतिहास ने प्राचीन राज्य अथवा पिरामिड युग कहा।
"जोसेर " के शासनकाल में उनके मंत्री "इम्होटेप " चक्कर के सीढ़ीदार पिरामिड का निर्माण करके पाषाण वस्तु कला को जन्म दिया।
पिरामिड निर्माण का उद्देश्य : मिस्त्रियो के राष्ट्रीय जीवन के आदर्शो की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति उनके पिरैमिड में हुई है कुछ विद्वानों का कहना है की मिस्त्री नरेशों ने ने इन्हे राज्य की आर्थिक व्यवस्था बिगड़ने पर जनता को रोजगार देने के लिए बनवाया जाता था लेकिन यह बात असत्य है जिस समय ये पिरैमिड बनाये गए थे , मिस्त्र समृद्ध देश था इसलिए इनका निर्माण आर्थिक संगठन के विनष्ट का कारण माना जा सकता है , परिणाम नहीं।
वास्तव में मिस्त्रियो ने पिरामिडो की रचना अपने राज्य और उनके प्रतीक फरावो की अनश्वरता और गौरव को अभिव्यक्ति करने के लिए की थी।अगर फराओ अमर थे तो उनकी मृत देह की सुरक्षा और उनके निवास के हेतु उनकी महत्ता के अनुरूप विशाल और स्थायी समाधियों का निर्माण आवश्यक था। लाल सूर्य की किरणे पहले पिरैमिड पर पड़े और फिर नील की घाटी में प्रतिपोषित हो सकता है। प्राचीन यूनानी इन्हे विश्व के सात अजूबो में एक मानते थे।
पिरैमिड का विकास प्राचीनतर युग की कच्ची ईटो से बनी समाधियों से हूआ। 3050 AD में उन्होंने ने पिरामिड निर्माण में पाषाण का प्रयोग आरम्भ किया।
हेरोडोटस के अनुसार - गिजेह के विशाल पिरामिड एक लाख व्यक्तियों ने बीस साल में बनवाया था यह तरह एकड़ भूमि में फैला है।
और 480 फ़ीट ऊंचा तथा 755 फ़ीट लम्बा है इसमें ढाई -ढाई टन भार के 23 लाख पाषाण खंड लगे है ये इतनी चतुरता से जोड़े गए है की कहि- कहि तो जोड़ की चौड़ाई एक इंच के हजारवें भाग से भी कम है जो की आधुनिक युग के कारीगरों को चुनौती दे सकता है।
कला : Art of Egypt civilization
मिस्त्री लोग प्राकृतिक सौंदर्य के प्रेमी थे और अपनी वस्तुओ को सुन्दर बनाये रखने का प्रयास करते थे परन्तु उन्ही वस्तुओ जिनकी कुछ उपयोगिता भी बनाते थे जैसे - राजाओ की विशाल मूर्तियाँ बनाई परन्तु सजाने के उद्देश्य से नहीं उन्हें परलोक में सहायता देने और अपने राष्ट्रीय जीवन के आदर्शो को अभिव्यक्ति करने के लिए क्योकि राष्ट्रीय व्यस्था धर्म पर आधारित थी।
आर्थिक व्यस्था : मिस्त्री समाज का आर्थिक जीवन का आधार कृषि , कर्म था। वे गेहूँ -जौ , मटर , सरसो , अंजीर , जैतूर , खजूर , सन, अंगूर , की खेती करते थे। मिस्त्र के कृषि कर्म अपेक्षा आसान था बिना हल चलाये कई फसल पैदा कर सकते थे सिंचाई व्यवस्था का आधार नील नदी थी।
उद्दोग-धंधा : Industry
वे ताम्र की पिघला कर अस्त्र -सस्त्र, बर्तन और अन्य उपकरण बनाने की कला में कुशल थे , अस्थिया और नूबिया से वे देवदारु हाथी दाँत और आबूनस का आघात करते थे और इनसे अपने फराओ और सामंतो के लिए बहुमूल्य फर्नीचर उपकरण बनाते थे। वे कई प्रकार जलपोत बनाने की कला में निपुण थे। पशुओ से प्राप्त चमड़े और खालो से वे भांति-भॉति के वस्त्र और ढाल इत्यादि और पेपाइस पौधे से कागज , हल्की नावों ,चप्पल , चटाईयाँ और रस्सिया बनाते थे।
सामाजिक व्यवस्था : Social system of Egypt civilization and Egyptian social structure
प्राचीन राज्य युग में मिस्त्री समाज पांच वर्गों में विभजित था राज परिवार सामंत , पुजारी , मध्यम वर्ग तथा सर्फ़ और दास भूमि सिद्धांत फराओ के हाथ में थी। प्राचीन राज्य युग में सबसे अधिक प्रतिष्ठा राज परिवार , सामंतो और पुजारियों की थी।
लेकिन वर्ग व्यवस्था आश्चर्य जनक रूप से लचीली थी हर व्यक्ति कोई भी पेशा अपना सकता था। केवल राज परिवार इस अधिकार से वंचित थे। उनकी स्त्रियाँ आधुनिक लगाने वाले जुड़े बांधती थी और लिपस्टिक , सुगन्धित तेल , तथा गालो की सुर्खी का प्रयोग कराती थी।
पुरुष दाढ़ी बनाते थे परन्तु सिर पर बड़ी -बड़ी विग धारण करते थे। दस वर्ष से कम आयु के बच्चे प्रायः नग्न रहते थे। मिस्त्री समाज में प्रत्येक वर्ग में भाई -बहिन के विवाह की प्रथा थी। मिस्त्री कविता में भाई -बहिनो शब्दो का प्रयोग प्रेमी- प्रेमिका के अर्थ से हुआ है।
स्त्रियों की प्रतिष्ठा: Women's Prestige
मिस्त्री समाज में स्त्रियों को अत्यंत प्रतिष्ठा स्थान प्राप्त था। विवाह स्थिर करते समय कन्या की राय ली जाती थी। विवाह संस्कार में वर यह वचन देता था की वह अपनी पत्नी की बात मानेगा। वंश परंपरा माता से चलती थी। पर्याप्त सामाजिक स्वंतंत्रता वे पुरषो के साथ सार्वजनिक भोजो में भाग लेती थी।
विज्ञानं : Science of Egypt civilization
मिस्त्रियो की विज्ञानं के केवल उन्ही क्षेत्रो में रूचि थी जिनकी व्यावहारिक जीवन में आवश्यकता पड़ती थी लेकिन अपनी जिज्ञासा के सिमित होने के बावजूद उन्होंने कुछ क्षेत्रों में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की।
उन्होंने ग्रहो नक्षत्रो का भेद मालूम कर लिया था आधुनिक तकनीक से बने उस काल में यंत्रो की सहायता करके प्रमुख नक्षत्रो की स्थिति की सही अंदाजा करके आकाश का मानचित्र बना लिया जाता था।
सौर पांचग का आविष्कार उनकी महत्वपूर्ण सफलता थी इसी प्रकार गणित के प्रमुख नियम -जोड़ ,घटाना , और भाग व्यपार के लिए अविष्कार हो चूका था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें